सभी पाठकों को मेरा नमस्कार आज की इस पोस्ट सिंधु नदी तंत्र (Sindhu Nadi tantra) में हम सिंधु नदी तंत्र के सामान्य परिचय, सिंधु नदी की विशेषताएं, उद्गम, मुहाना, प्रवाह क्षेत्र, सिंधु नदी की सभी सहायक नदियों, पंचनद क्या है? , सिंध नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे हुए प्रमुख नगरों की बात करेंगे। इन सब चीजों को हम चित्रों और मैप की सहायता से विस्तार से समझेंगे। इस पोस्ट में मैं सिंधु नदी तंत्र से संबंधित परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सभी तथ्यों को समाहित करने का प्रयास करूंगा।
सिन्धु नदी हमारे भारत की बहुत ही ऐतिहासिक और प्राचीन नदी है। हमारी भारतीय सभ्यता में सिंध नदी तंत्र का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी की सभ्यता सिंधु और उसकी सहायक नदियों के किनारे ही पनपी थी।
सिंधु नदी तंत्र (Sindhu Nadi Tantra) का सामान्य परिचय-
- सिंधु नदी तंत्र विश्व के सबसे बड़े नदी तंत्र में से एक है जो 11.65 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है । भारत में इसका क्षेत्रफल लगभग 2.21 लाख वर्ग किलोमीटर है।
- सिंधु नदी तंत्र, इस तंत्र की सबसे प्रमुख नदी सिंधु नदी और उसकी सभी सहायक नदियों से बनता है।
- सिंधु नदी तंत्र में निम्न नदियां आती हैं- सिंधु, झेलम, चेनाब, रावी, व्यास, सतलज, श्योक, गिलगित, काबुल, कुर्रम, गोमल आदि।
- सिंधु नदी तंत्र (Sindhu Nadi tantra) का अपवाह क्षेत्र तिब्बत (चीन) , भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में फैला हुआ है।
- सिंधु नदी तंत्र की ज्यादातर नदियां हिमालय क्षेत्र से निकलती हैं और कुछ नदियां हिंदू कुश पर्वत से निकलती है।
- सिंधु और उसकी ज्यादातर सहायक नदियों के जल का स्रोत ग्लेशियर हैं इसलिए यह नदियां वर्ष वाहिनी है।
- सिंधु नदी तंत्र का मुहाना कराची के निकट अरब सागर है। सिंधु नदी डेल्टा बनाती है।
सिंधु नदी (Sindhu Nadi)-
- सिंधु नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पास कैलाश पर्वत श्रृंखला पर स्थित बोखर -चू नामक ग्लेशियर से निकलती है। तिब्बत में इस ग्लेशियर को ‘सिंघी खंबन’ या ‘शेर का मुंह’ के नाम से जाना जाता है।
- तिब्बत में मानसरोवर झील और कैलाश पर्वत स्थित है। तिब्बत मे मानसरोवर झील के पास से तीन पूर्ववर्ती नदियों सिंधु, सतलज, और ब्रह्मपुत्र का उद्गम होता हैं। मानसरोवर झील के पास स्थित राक्षस / राकस ताल झील से सतलज नदी का, मानसरोवर झील के पश्चिम में कैलाश पर्वत श्रृंखला में स्थित बोखर -चू हिमनद से सिंध नदी का और मानसरोवर के पूर्व में स्थित कैलाश पर्वत श्रृंखला के चेमायुंगडुंग हिमनद से ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम होता है।
- सिंधु नदी तिब्बत, भारत और पाकिस्तान में बहते हुए अरब सागर में डेल्टा बनाते हुए अपना जल गिराती है।
- सिंधु नदी की लंबाई 2880 किलोमीटर है जबकि भारत में इसकी लंबाई 1114 किलोमीटर है।
- भारत में सिंधु नदी दमचौक नमक स्थान से प्रवेश करती है और चिल्लास नामक स्थान से बाहर निकलती है।
- सिंधु नदी एक पूर्ववर्ती नदी है यानी कि यह नदी हिमालय पर्वत के निर्माण से पहले से बह रही है।
- यह हिमालय की सबसे पश्चिमी नदी है।
- सिंधु नदी भारत में दमचौक से प्रवेश करती है फिर यह लद्दाख श्रेणी को उत्तर से दक्षिण की ओर दुंग्ती नामक स्थान पर काटने के बाद लद्दाख और जास्कर श्रेणियों के मध्य उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती है।
- जहां लेह के पास इसमें बाई ओर से जास्कर नदी मिलती है। यहां पर जस्कर नदी सिंधु नदी से ज्यादा पानी लेकर आती है।
- इस संगम से थोड़ा आगे सिंधु नदी पर अलची के पास निम्मो बाजगो जल विद्युत परियोजना चल रही है।
- लद्दाख श्रेणी को काटते हुए सिंधु नदी गिलगित के समीप एक महाखड्ड (बुंजी गार्ज) का निर्माण करती है। जो 5200 मीटर गहरा है। जो भारत का सबसे गहरा गार्ज है।
- नंगा पर्वत से सिंधु नदी दक्षिण की ओर मुडती है और पाकिस्तान में प्रवेश कर जाती है।
- पाकिस्तान में मिथनकोट के पास सिंधु नदी में पंचनद (झेलम, चेनाब ,रवि ,व्यास ,सतलज की संयुक्त धारा) आकर मिलता है।
- सिंधु नदी डेल्टा बनाते हुए पाकिस्तान के शहर कराची के निकट अरब सागर में गिरती है।
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सिंधु नदी तंत्र मानचित्र (Sindhu Nadi Tantra Map)-
सिंधु नदी तंत्र के इस मानचित्र में मैंने लगभग सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को दर्शाने का प्रयास किया है आप सभी से निवेदन है कि इस पोस्ट को पढ़ते समय इस मानचित्र को भी देखते जाएं जिससे सिंधु नदी तंत्र पर आपकी समझ और अधिक मजबूत होगी। यदि आप इस मानचित्र का प्रिंट आउट निकलवाना चाहते हैं तो हमारे टेलीग्राम चैनल से इस मानचित्र की full hd pdf प्राप्त कर सकते हैं।
सिंधु नदी की सहायक नदियां-
सिंधु नदी की सहायक नदियों को हम पढ़ने की सुविधा की दृष्टि से दो भागों में बांट सकते हैं-
- सिंधु नदी में दाएं ओर से मिलने वाली नदियां
- सिंधु नदी में बाएं ओर से मिलने वाली नदियां
झेलम नदी–
1- उद्गम– झेलम नदी कश्मीर घाटी के दक्षिण पूर्वी भाग में पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला की पदस्थली में स्थित बेरीनाग झील से बेरीनाग झरने के रूप में निकलती है। बेरीनाग झील का पानी बेरीनाग झरने के रूप में शेषनाग झील में गिरता है और शेषनाग झील से झेलम नदी प्रारंभ होती है।
2- उत्तर-पश्चिम दिशा में प्रभावित होते हुए वुलर झील से होकर निकलती है। वुलर झील जम्मू कश्मीर में स्थित भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है।
3- जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर झेलम नदी के किनारे स्थित है।
4- आगे चलकर झेलम नदी पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद के पास से दक्षिण की ओर मुड़ जाती है और कुछ दूरी तक भारत और पाकिस्तान की सीमा निर्धारित करती है।
5- झेलम नदी का प्राचीन नाम वितस्ता है।
6- झेलम नदी की सबसे प्रमुख सहायक नदी किशनगंगा नदी है। जिसे नीलम नदी भी कहा जाता है। किशनगंगा नदी पर ही किशनगंगा परियोजना स्थित है।
7- झेलम नदी पाकिस्तान में झंग नामक स्थान पर चिनाब नदी से मिल जाती है।
8- यह कश्मीर की सबसे महत्वपूर्ण नदी है। जम्मू कश्मीर में झेलम नदी पर तुलबुल और उरी परियोजनाएं चल रही हैं।
चेनाब नदी-
1- चेनाब नदी का प्राचीन नाम अस्कनी है। यह सिंधु नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
2- उद्गम– चेनाब नदी हिमाचल प्रदेश में जास्कर श्रेणी के लाहुल स्पीति खंड के बडा़लाचा दर्रे के पास से दो शाखाओं चंद्र और भाग के रुप निकलती हैं। चंद्र नदी चंद्र ताल से और भागा नदी सूर्य ताल से निकलती है। चंद्र और भाग का संगम तांडी हिमाचल प्रदेश में होता है। इसलिए चेनाब नदी को चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है।
3- चेनाब नदी (पंचनद) सिंधु नदी से पाकिस्तान के मिथनकोट नामक स्थान पर मिलती है।
4- झेलम, रावी और सतलज आदि चेनाब की सहायक नदियां हैं।
5- चेनाब नदी पर सलाल, बगलिहार और दुलहस्ती, रतले आदि प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित की गई हैं।
6- विश्व का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज चिनाब नदी पर जम्मू कश्मीर राज्य के रियासी जिले में बनाया गया है।
रावी नदी-
1- रावी नदी का प्राचीन नाम पुरुषणी है। यह चेनाब नदी की एक सहायक नदी है।
2- उद्गम– रावी नदी हिमाचल प्रदेश (कांगड़ा जिले) की कुल्लू पहाड़ियों में रोहतांग दर्रे के पास से निकलती है। इसी दर्रे के पास व्यास कुंड से व्यास नदी निकलती है।
3- रवि नदी हिमाचल प्रदेश की चंबा घाटी में बहती है।
4- रावी नदी पीर पंजाल श्रेणी और धौलाधार श्रेणी के मध्य प्रवाहित होती है तथा धौलाधार श्रेणी को उत्तर से दक्षिण की ओर काटते हुए महाखड्ड (गार्ज) का निर्माण करती है।
5- पंजाब में रावी नदी मैदानी भाग में प्रवेश करती है और कुछ दूरी तक भारत-पाक सीमा के साथ-साथ बहती है।
6- पंजाब के पठानकोट जिले में रावी नदी पर थीन बांध (रंजीत सागर बांध) परियोजना स्थित हैं।
7- रावी नदी पाकिस्तान मे सराय सिंधु के निकट चेनाब नदी से मिल जाती है।
व्यास नदी-
1- व्यास नदी का प्राचीन नाम विपासा है। यह सतलज नदी की सहायक नदी है।
2- उद्गम– व्यास नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ी में स्थित रोहतांग दर्रे के दक्षिणी किनारे पर स्थित व्यास कुंड से होता है।
3- यह नदी कुल्लू घाटी से होकर गुजरती है और धौलाधार श्रेणी में काती और लारगी में महाखड्ड का निर्माण करती है। इसके बाद यह कांगड़ा घाटी में बहती है।
4- पंजाब में हरिके नामक स्थान पर व्यास नदी सतलज नदी से मिलती है। पंजाब के कपूरथला में हरिके नामक स्थान पर व्यास और सतलज के संगम पर हरिके बैराज बांध बनाया गया है। इसी बैराज से इंदिरा गांधी नहर का उद्गम होता है जो भारत की सबसे लम्बी नहर है।
5- हरिके बांध के पीछे हरिके नामक कृत्रिम झील का निर्माण होता है जो कि एक रामसर आद्रभूमि है।
6- पंचनद में से व्यास नदी का संपूर्ण प्रबाह भारत में ही है।
7- व्यास नदी में Indus Dolphins पाई जाती हैं। जो पूरे भारत में सिर्फ व्यास नदी में ही पाई जाती हैं और किसी नदी में नहीं मिलती।
8- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में व्यास नदी पर पोंग डैम बनाया गया है जिसे व्यास बांध भी कहा जाता है।
सतलज नदी-
1- सतलज नदी का प्राचीन नाम शतुद्री है। यह चेनाब की सबसे लंबी सहायक नदी है।
2- उद्गम– सतलज नदी तिब्बत की मानसरोवर झील के पास स्थित राकस /राक्षस ताल झील से निकलती है। यह एक पूर्ववर्ती नदी है।
3- सतलज नदी भारत में भारत – चीन सीमा (हिमाचल प्रदेश) पर स्थित शिपकीला दर्रे से प्रवेश करती है।
4- सतलज नदी पर भाखड़ा नांगल परियोजना चल रही है। इस परियोजना के तहत हिमाचल प्रदेश में भाखड़ा बांध और पंजाब में नांगल बांध बनाया गया है। भाखड़ा बांध के पीछे गोविंद सागर झील का निर्माण होता है जो हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है।
5- हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सतलज नदी पर स्थित भाखड़ा बांध विश्व का सबसे ऊंचा गुरूत्वी बांध है।
5- नाथपा झाकरी परियोजना, कोल डैम परियोजना ,सरहिंद परियोजना सतलज नदी पर स्थित अन्य परियोजनाएं हैं।
6- व्यास नदी सतलज की सहायक नदी है जो पंजाब के हरिके नामक स्थान पर सतलज नदी से मिलती है।
पंचनद क्या है?-
पंजाब (भारत और पाकिस्तान दोनों के पंजाब) में बहने वाली पांच नदियों के समूह को पंचनद कहा जाता है। इन्हीं पांच नदियों के क्षेत्र को पंजाब कहा गया क्योंकि पंजाबी भाषा में पांच को पंज कहते हैं। पंचनद की सबसे प्रमुख नदी चेनाब नदी है। पंचनद चेनाब और उसकी सहायक नदियों झेलम, रावी, व्यास और सतलज के समूह को कहते हैं। पंचनद सिंधु नदी से पाकिस्तान के मिथनकोट नामक स्थान पर मिलता है। पंचनद का क्षेत्र कृषि की दृष्टि से बहुत ही उपजाऊ क्षेत्र है।
सिंधु नदी की दाएं ओर से मिलने वाली सहायक नदियां-
श्योक नदी-
1- उद्गम– श्योक नदी रेमो ग्लेशियर से निकलती है।
2- रेमो ग्लेशियर काराकोरम श्रेणी पर सियाचिन ग्लेशियर के दाएं ओर स्थित है।
3- रेमो ग्लेशियर को सियाचिन ग्लेशियर की जीभ कहते हैं।
4- नुब्रा नदी और गलवान नदी, श्योक नदी की सहायक नदी है, नुब्रा नदी सियाचिन ग्लेशियर से निकलती है।
काबुल नदी –
1- काबुल नदी अफगानिस्तान में हिंदुकुश पर्वत के संगलाख़ श्रृंखला से निकलती है।
2- काबुल नदी पाकिस्तान के अटक नामक शहर के पास सिंधु नदी से मिल जाती है।
3- काबुल नदी पूर्वी अफगानिस्तान की मुख्य नदी है।
4- अफगानिस्तान की राजधानी काबुल , काबुल नदी के तट पर स्थित है।
5- स्वात नदी और कुनार नदी काबुल नदी की सहायक नदियां हैं।
6- स्वात नदी घाटी को पाकिस्तान का स्वर्ग कहा जाता है।
गिलगित नदी-
1- गिलगित नदी पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित संदूर लेख से निकलती है।
3- गिलगित नदी को गि़ज़र नदी के नाम से भी जानते हैं।
3- गिलगित शहर इसी नदी के किनारे स्थित है।
गोमल नदी-
1- गोमल नदी अफगानिस्तान में स्थित कोहनाक पर्वत से निकलती है।
सिंधु नदी जल समझौता-
सिंधु नदी तंत्र के पानी के प्रयोग को लेकर भारत और पाकिस्तान के मध्य एक एग्रीमेंट साइन किया गया है जिसे हम सिंधु जल समझौता (Indus water Treaty) के नाम से जानते हैं। इस समझौते पर 19 सितंबर 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आयूब खान एवं विश्व बैंक के डब्लू. ए. बी. इलिफ ने पाकिस्तान के रावलपिंडी में साइन किया था। इस समझौते को करवाने में विश्व बैंक ने भारत और पाकिस्तान के मध्य मध्यस्थता की थी।
इस समझौते के तहत सिंधु नदी तंत्र की 6 नदियों के जल को भारत और पाकिस्तान के बीच बांटा गया। इस समझौते के तहत सिंधु नदी की तीन पूर्वी सहायक नदियों रावी, व्यास सतलज पर भारत को पूर्ण अधिकार दिया गया और पश्चिमी तीन नदियों सिंधु झेलम चिनाब पर पाकिस्तान को पूरा अधिकार दिया गया।
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