सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! आज की इस पोस्ट ‘कृष्णा नदी तंत्र (Krishna nadi tantra)’ मे हम कृष्णा नदी और उसकी सहायक नदियों के बारे में मेरे द्वारा बनाए गए मानचित्रों के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे साथ ही कृष्णा नदी और उसकी सहायक नदियों पर चल रही परियोजनाओं के बारे में भी विस्तार से चर्चा करेंगे। आप लोगों से निवेदन है कि आप इस आर्टिकल को पढ़ते हुए मानचित्र को भी साथ में देखे जाएं जिससे आप कृष्णा नदी तंत्र की और बेहतर समझ बना पाएंगे।
कृष्णा नदी तंत्र (Krishna Nadi Tantra) का सामान्य परिचय
कृष्णा नदी तंत्र कृष्णा नदी और उसकी सहायक नदियों से मिलकर बना है। कृष्णा नदी तंत्र भारत के सबसे महत्वपूर्ण नदी तंत्रों में से एक है, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत के चार राज्यों – महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को प्रभावित करता है। यह नदी तंत्र कृषि, जलविद्युत, और पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण है। कृष्णा नदी तंत्र की सबसे प्रमुख नदी कृष्णा नदी है।
- कृष्णा, गंगा नदी और गोदावरी नदी के बाद भारत की तीसरी सबसे लंबी नदी है इसकी लंबाई लगभग 1400 किलोमीटर है।
- कृष्णा नदी प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी गोदावरी है जिसकी लंबाई 1465 किलोमीटर है।
- प्रायद्वीपीय भारत का ढाल पूर्व की ओर है इसलिए कृष्णा नदी भी पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।
- जल प्रवाह और नदी बेसिन क्षेत्र के मामले में भारत में गंगा नदी, सिंधु नदी और गोदावरी नदी के बाद चौथा सबसे बड़ा प्रवाह क्षेत्र कृष्णा नदी का है। कृष्णा नदी का प्रवाह क्षेत्र महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, और आंध्र प्रदेश में फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल लगभग 258948 वर्ग किलोमीटर है। जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 8% है।
- कृष्णा नदी का जल प्रवाह काफी तेज है इसलिए इस नदी पर काफी सारी जल विद्युत परियोजनाएं चलाई जा रही है।
- कृष्णा नदी भारत के चार राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में प्रवाहित होती है।
कृष्णा नदी का उद्गम स्थल
कृष्णा नदी का उद्गम महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट (सहयाद्रि) की महाबलेश्वर चोटी के पास से होता है। यह स्थान महाराष्ट्र के सतारा जिले के जोर गांव के पास स्थित है। इसका स्रोत स्थान महादेव मंदिर के पास एक छोटी झरने जैसी जगह है, जिसे कृष्णा नदी का आधिकारिक प्रारंभिक बिंदु माना जाता है।
महाबलेश्वर महाराष्ट्र का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल और एक हिल स्टेशन है। जो पश्चिमी घाट के रमणीय वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र से भारत का सबसे अधिक स्ट्रॉबेरी उत्पादन होता है।
कृष्णा नदी का प्रवाह मार्ग
- कृष्णा नदी का उद्गम महाराष्ट्र के सतारा जिले में पश्चिमी घाट (सहयाद्रि) की महाबलेश्वर चोटी के पास से होता है।
- महाराष्ट्र में उद्गम होने के बाद यह नदी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश से होते हुए आंध्र प्रदेश में बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।
- महाबलेश्वर से ही निकलने वाली कोयना नदी सतारा जिले में ही कृष्णा नदी में दाईं ओर से मिलती है। कृष्ण और कोयना नदी के संगम स्थल को प्रीती संगम कहा जाता है।
- इसके आगे कृष्णा नदी के बाएं किनारे पर येरला नदी आकर मिलती है। येरला नदी महाराष्ट्र के सतारा जिले के खटाव तालुका के म्हस्कोबा हिल्स से निकलती है और सांगली जिले के ब्रह्मणाल के पास कृष्णा नदी से मिलती है।
- ब्रह्मणाल के बाद कृष्णा नदी में दाएं और से आकर वरना नदी मिलती है। वारना नदी सहयाद्री पर्वत श्रृंखला के पाथरपुंज पठार से निकलती है। और सांगली के पास हरिपुर में कृष्णा नदी से मिलती है।
- महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के नरसोबावाडी मे पंचगंगा नदी दाईं ओर से आकर कृष्णा नदी से मिलती है। पंचगंगा नदी का उद्गम कोल्हापुर जिले (महाराष्ट्र) में पंचगंगा मंदिर के पास स्थित पंचगंगा घाट से होता है।
- कोल्हापुर के बाद कृष्णा नदी कर्नाटक में कुरुंदवाड नामक जगह से प्रवेश करती है।
- कर्नाटक के चिक्कसंगम ग्राम में दाईं ओर से घटप्रभा नदी आकर कृष्णा से मिलती है।
- कृष्ण और घाटप्रभा के संगम के बाद ही कर्नाटक के अल्माटी में कृष्णा नदी पर अल्माटी बांध (लाल बहादुर शास्त्री बांध) बनाया गया है।
- इसके बाद कृष्णा नदी से कर्नाटक के बेलगांव जिले में पश्चिमी घाट से निकलकर आने वाली मलाप्रभा नदी, कर्नाटक के बागलकोट जिले में कुदालसंगम नामक तीर्थ स्थल पर दाईं ओर से मिलती है।
- इससे आगे ही कृष्णा नदी पर कर्नाटक राज्य के यादगीर जिले में बसवा सागर बांध, जिसे पहले नारायणपुरा बांध के नाम से जाना जाता था बना हुआ है।
- इसके आगे कृष्णा नदी कुछ दूरी तक कर्नाटक और तेलंगाना की सीमा पर बहती है। कर्नाटक और तेलंगाना की सीमा के पास ही रायचूर में कृष्णा नदी से बाईं ओर से भीमा नदी आकर कर मिलती है। जो कि कृष्णा की सबसे लंबी (861km) सहायक नदी है।
- कृष्णा नदी कुछ दूरी तक तेलंगाना राज्य में बहती है फिर यह नदी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सीमा पर बहने लगती है यहीं पर इससे दक्षिण की ओर से तुंगभद्रा नदी आकर मिलती है। जो कि कृष्णा की दाईं ओर से मिलने वाली सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- इसके आगे कृष्णा नदी पर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर ही श्रीशैलम बांध बनाया गया है। जो देश का दूसरा सबसे बड़ा कार्यशील जलविद्युत स्टेशन है।
- इसके आगे ही कृष्णा नदी पर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर ही एक और बांध नागार्जुन सागर बांध बनाया गया।
- इसके बाद भी कृष्णा नदी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा बनाते हुए बहती रहती है। इस दौरान मूसी नदी बाई ओर से आकर कृष्णा मे मिलती है जो कि तेलंगाना में स्थित अनंतगिरी पहाड़ियों से निकलकर आती है और तेलंगाना के नलगोंडा जिले में कृष्णा नदी से मिलती है।
- इसके बाद कृष्णा नदी पूर्व की ओर बहते हुए आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की सीमा को छोड़कर आंध्र प्रदेश में प्रवेश कर जाती है। तेलंगाना के वारंगल जिले से निकलकर आने वाली मुनेरू नदी आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के इतुरु नामक गांव के पास कृष्णा नदी से मिल जाती है।
- इसके आगे कृष्णा नदी दक्षिण पूर्व की ओर बहते हुए डेल्टा बनाते हुए आंध्र प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से मिल जाती है। कृष्णा नदी का डेल्टा आंध्र प्रदेश के गुंटूर, कृष्णा, और पश्चिम गोदावरी जिलों में फैला हुआ है।
कृष्णा नदी की सहायक नदियां
कृष्णा नदी की सहायक नदियों को दो भागों में बांटा जा सकता है कृष्णा नदी में दाएं और से मिलने वाली सहायक नदियां और कृष्णा नदी में बाईं ओर से मिलने वाली सहायक नदियां।
कृष्णा नदी में दाएं ओर से मिलने वाली नदियां-
कोयना, वारना, पंचगंगा, दूधगंगा, घाटप्रभा, मालप्रभा और तुंगभद्रा
कृष्णा नदी में बाएं ओर से मिलने वाली नदियां-
येरला, भीमा, डिंडी, पेडुयागू, मूसी, पल्लेरू और मुनेरू
कोयना नदी
कोयना कृष्णा नदी में दाईं ओर से मिलने वाली एक छोटी सहायक नदी है। यह नदी महाराष्ट्र के सतारा जिले में सहयाद्री पर्वत में महाबलेश्वर के पास से निकलती है। सतारा जिले के कराड नामक स्थान के पास यह कृष्णा नदी से मिल जाती है। कृष्ण और कोयना नदी के संगम स्थल को प्रीती संगम कहा जाता है।
कोयना नदी पर महाराष्ट्र के सतारा जिले में कोयना बांध बनाया गया है जो महाराष्ट्र के सबसे बड़े बांधों में से एक है। कोयना जल विद्युत परियोजना महाराष्ट्र की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है। कोयना बांध के पीछे बनी कृत्रिम झील को शिवसागर सरोवर के नाम से जाना जाता है।
वारना नदी
वारना नदी कृष्णा नदी में दाईं ओर से मिलने वाली एक छोटी सहायक नदी है। यह नदी महाराष्ट्र में सहयाद्री पर्वत श्रृंखला में पाथरपुंज पठार के पास प्रचितगढ़ से निकलती है और सांगली के पास हरिपुर में कृष्णा नदी से मिलती है। वरना नदी घाटी पूर्व में दक्कन का पठार और पश्चिम में कोंकण का पठार के बीच संक्रमण क्षेत्र में स्थित है।
पंचगंगा नदी
पंचगंगा नदी का निर्माण पांच धाराओं के मिलने से होता है। इनके से चार नदियां कसारी, कुंभी, तुलसी और भोगवती है। स्थानीय परंपरा में मान्यता है कि पांचवी नदी सरस्वती नदी है जो भूमिगत होकर बहती है। इन पांच नदियों के मिलने से पंचगंगा नदी बनती है। कोल्हापुर में स्थित प्रयाग संगम पंचगंगा नदी की वास्तविक शुरुआत को दर्शाता है क्योंकि यहीं पर पांचो नदियों में से आखिरी नदी कसारी मिलती है।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के नरसोबावाडी मे पंचगंगा नदी कृष्णा नदी से मिल जाती है।
घाटप्रभा नदी
घटप्रभा नदी का उद्गम महाराष्ट्र में स्थित फाटकवाड़ी झील के पास से होता है। हिंदी महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य में बहती है और कर्नाटक के चिक्कसंगम ग्राम कृष्णा नदी से मिल जाती है। कृष्ण और घाटप्रभा के संगम के बाद ही कर्नाटक के अल्माटी में कृष्णा नदी पर अल्माटी बांध (लाल बहादुर शास्त्री बांध) बनाया गया है।
कर्नाटक के बेलगांव जिले में गोकक शहर के पास घटप्रभा नदी पर गोकक जलप्रपात स्थित है। जो कि कर्नाटक का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।
राजा लाखामगौड़ा बांध (हिडकल बांध) कर्नाटक में बेलगाँव जिले के हिडकल गाँव में घाटप्रभा नदी पर बनाया गया है। इस बांध के पीछे निर्मित कृत्रिम झील को घाटप्रभा जलाशय है या हिडकल जलाशय कहा जाता है।
मलाप्रभा नदी
मलाप्रभा नदी का उद्गम पश्चिमी घाट मे कर्नाटक के बेलगांव जिले के कनकुंबी गाँव के पास से से होता है। कर्नाटक में 304 किलोमीटर बहने के बाद मलाप्रभा नदी कर्नाटक मे बागलकोट जिले के कुडाला संगम मे कृष्णा नदी से मिल जाती है।
कर्नाटक के बेलगांव जिले के सवादत्ती तालुका के नविलुतीर्थ गांव में मालप्रभा नदी पर एक बांध बनाया गया है। जिसे रेणुका सागर या मालाप्रभा बाँध या नविलुतीर्थ बाँध कहा जाता है।
पट्टदकल और ऐहोले ऐतिहासिक स्थल और बादामी के प्रसिद्ध गुफा मंदिर मालप्रभा नदी के किनारे स्थित है। इनमें से पट्टदकल को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है और बाकी के दोनों को शामिल कराए जाने का प्रयास चल रहा है। ये स्थल चालुक्य राजवंश से संबंधित है और अपनी अद्वितीय वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।
तुंगभद्रा नदी
तुंगभद्रा नदी कृष्णा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। याद रहे कृष्णा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी भीमा है लेकिन सबसे बड़ी सहायक नदी (अपवाह क्षेत्र के अनुसार) तुंगभद्रा है।
तुंगभद्रा नदी का निर्माण दो धाराओं तुंगा नदी और भद्रा नदी के मिलने से होता है। तुंगभद्रा नदी को अपना नाम इन दो धाराओं की वजह से ही मिला है। यह दोनों धाराएं कर्नाटक के शिमोगा जिले के कूडली ग्राम में मिलती हैं। तो हम मान सकते हैं कि तुंगभद्रा नदी की शुरुआत यहीं से होती है। पश्चिमी घाट के गंगामूल नामक स्थान से तुंगा तथा भद्रा नदियों का उद्गम होता है।
इन दोनों धाराओं के मिलने के बाद तुंगभद्रा नदी लगभग 531 km तक बहती है जब तक कि यह आंध्र प्रदेश के संगमलेश्वरम में कृष्णा नदी में नहीं मिल जाती। तुंगभद्रा नदी कर्नाटक में 382 km , 58 km कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की सीमा पर और 91 km तक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर बहती है।
तुंगभद्रा नदी के किनारे पर कई हिंदू धार्मिक तीर्थ स्थल हैं। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रृंगेरी मठ तुंगा नदी की बाई तट पर कर्नाटक के चिकमंगलुर जिले में स्थित है। यह हिंदू धर्म के चार पीठों में से एक दक्षिणी पीठ है।
विजयनगर साम्राज्य की राजधानी रही हम्पी भी तुंगभद्र नदी के किनारे स्थित है। कर्नाटक के हम्पी में ही तुंगभद्र नदी के किनारे विरुपाक्ष मंदिर स्थित है जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल है।
कृष्ण और तुंगभद्रा नदियों के बीच का क्षेत्र रायचूर दोआब के नाम से जाना जाता है। इस दोआब का नाम रायचूर जिले के रायचूर शहर के नाम पर रखा गया है। इस दोआब में कर्नाटक में रायचूर जिला और कोप्पल जिला तथा तेलंगाना में गढ़वाल जिला शामिल है।
तुंगा, भद्रा, वर्धा, हगेरी (वेदवती) आदि तुंगभद्रा नदी की सहायक नदियां हैं।
येरला नदी
येरला नदी कृष्णा नदी की बाई ओर से मिलने वाली सहायक नदी है। येरला नदी महाराष्ट्र के सतारा जिले के खटाव तालुका के म्हस्कोबा हिल्स से निकलती है और सांगली जिले के ब्रह्मणाल के पास कृष्णा नदी से मिलती है।
येरला नदी एक घाटी मे बहती है जिसके दाएं ओर वर्धनगढ़ श्रेणी और बांए ओर महिमनगढ़ श्रेणी स्थित है।
भीमा नदी
भीमा नदी का उद्गम महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट की भीमाशंकर पहाड़ियों से होता है। इसके बाद भीमा नदी दक्षिण पूर्व दिशा में बहते हुए महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में बहती है तथा कुछ दूरी तक तेलंगाना और कर्नाटक की सीमा बनाती है। कर्नाटक और तेलंगाना की सीमा पर ही रायचूर में यह कृष्णा नदी से मिल जाती है।
- भीमा नदी कृष्णा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है। इसकी लंबाई 861 किलोमीटर है।
- नीरा, सिना, कागिनी भीमा नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
- महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर जिले में उजनी गांव में भीमा नदी पर एक बांध बनाया गया है। जिसे उजनी बांध या भीमा बांध या भीमा सिंचाई परियोजना के नाम से जाना जाता है।
- भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमाशंकर भीमा नदी के उद्गम स्थान पर ही भीमाशंकर की पहाड़ियों में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग का शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
मूसी नदी
मूसी नदी तेलंगाना राज्य में बहने वाली कृष्णा नदी की एक बाएं ओर से मिलने वाली सहायक नदी है। मूसी नदी तेलंगाना के विकाराबाद जिले मे अनंतगिरी की पहाड़ियों से निकलती है और तेलंगाना के नलगोंडा जिले में कृष्णा नदी से मिलती है। मूसी नदी का प्राचीन नाम मुचुकुन्दा नदी है।
हैदराबाद शहर मुसी नदी के किनारे स्थित है। मुसी नदी हैदराबाद के पुराने ऐतिहासिक शहर को नए शहर से अलग करती है।
हिमायत सागर और उस्मान सागर झीलें मूसी नदी पर बनाए गए प्रमुख जलाशय हैं। ये हैदराबाद शहर को पानी उपलब्ध कराते हैं और बाढ़ से बचाव करते हैं।
कृष्णा नदी और उसकी सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख बांध
कोयना बांध
कृष्णा नदी की सहायक नदी कोयना नदी पर महाराष्ट्र के सतारा जिले में कोयना बांध बनाया गया है जो महाराष्ट्र के सबसे बड़े बांधों में से एक है। कोयना जल विद्युत परियोजना महाराष्ट्र की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है। कोयना नदी परियोजना की कुल क्षमता 1960 मेगावाट है। टिहरी परियोजना के बाद यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है।
कोयना बांध के पीछे बनी कृत्रिम झील को शिवसागर सरोवर के नाम से जाना जाता है।
अल्माटी बांध (लाल बहादुर शास्त्री बांध)
अल्माटी बांध (लाल बहादुर शास्त्री बांध) कर्नाटक के बीजापुर में कृष्णा नदी और मलाप्रभा नदी के संगम के ठीक बाद कृष्णा नदी पर बनाया गया है। अल्माटी जल विद्युत परियोजना का उद्देश्य विद्युत उत्पादन, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण है। इस बांध द्वारा बनाया गया जलाशय लाल बहादुर शास्त्री जलाशय कहलाता है। इस परियोजना की क्षमता 290 मेगावाट है।
बसवा सागर बांध (नारायणपुर बांध)
बसवा सागर बांध कृष्णा नदी पर कर्नाटक राज्य के यादगीर जिले में बनाया गया है। यह बांध अल्माटी बांध से लगभग 50 किमी की दूरी पर है। बांध के पीछे बना जलाशय बसवा सागर जलाशय कहलाता है। यह एक एकल उद्देश्य परियोजना थी जिसका उद्देश्य केवल सिंचाई करना था, लेकिन इससे विद्युत उत्पादन पर भी विचार किया जा रहा है।
श्रीशैलम बांध
श्रीशैलम बांध का निर्माण कृष्णा नदी पर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सीमा पर किया गया है। इस बांध का निर्माण आंध्र प्रदेश के नंद्याल जिले और तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले के मध्य नल्लामाला पहाड़ियों में एक गहरी खाई में किया गया है। यह बांध भारत के सबसे महत्वपूर्ण और बड़े बांधों में से एक है।
श्रीशैलम बांध का निर्माण 1960 में शुरू हुआ और 1981 में पूरा हुआ। इसे कृष्णा नदी घाटी परियोजना (Krishna River Valley Project) के तहत बनाया गया। इस बांध के पीछे बना जलाशय श्रीशैलम जलाशय कहलाता है। श्रीशैलम जल विद्युत संयंत्र की कुल स्थापित क्षमता 1,670 मेगावाट है।
नागार्जुन सागर बांध
नागार्जुन सागर बांध भारत के सबसे बड़े और ऐतिहासिक बांधों में से एक है। यह बांध तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सीमा पर कृष्णा नदी पर बनाया गया है तथा आंध्र प्रदेश के पलनाडू जिले और तेलंगाना के नलगोंडा जिले के मध्य स्थित है। यह बांध मुख्यतः सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन और पेयजल आपूर्ति के लिए बनाया गया है।
इस बांध का नाम प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु और दार्शनिक आचार्य नागार्जुन के नाम पर रखा गया है। इस बांध के पीछे बनी कृत्रिम झील नागार्जुन सागर जलाशय कहलाती है।
उजनी बांध
उजनी बांध महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर जिले में उजनी गांव में भीमा नदी पर बनाया गया है। जिसे उजनी बांध या भीमा बांध या भीमा सिंचाई परियोजना के नाम से जाना जाता है। इस बात को मुख्ता सिंचाई के उद्देश्य से बनाया गया है। इस बांध के पीछे निर्मित जलाशय उजनी रिजर्वॉयर कहलाता है।
तुंगभद्रा बांध
तुंगभद्रा बांध जिसे पम्पा सागर के नाम से भी जाना जाता है। तुंगभद्रा बांध को कर्नाटक के विजयनगर जिले में तुंगभद्रा नदी पर बनाया गया है। यह एक बहुउद्देशीय बांध है। जिसका प्रयोग सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण में किया जाता है।
इस पोस्ट में हमने कृष्णा नदी तंत्र (Krishna nadi tantra) को मैप की सहायता से विस्तार से समझा। साथ ही कृष्ण की सहायक नदियों और उन पर स्थित परियोजनाओं को भी देखा। मैंने इस पोस्ट में कृष्णा नदी से संबंधित लगभग सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ को सम्मिलित करने का प्रयास किया है। यदि आपको मेरा प्रयास पसंद आया हो तो इस पोस्ट को अपने मित्रों के साथ शेयर करें और यदि आप इस पोस्ट में कुछ सुधार चाहते हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं। धन्यवाद!
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अति उत्तम
Thank you