भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृतिक परंपराओं की धरोहर रही नदियां न केवल जीवनदायनी जलधाराएं हैं, बल्कि वे इस भूमि की आत्मा भी हैं। इन्हीं में से एक है यमुना नदी, जो गंगा की प्रमुख सहायक नदी होते हुए भी स्वतंत्र रूप से धार्मिक ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। आज के इस लेख में हम यमुना नदी के उद्गम स्थल, प्रवाह मार्ग और प्रमुख सहायक नदियों को एक सुस्पष्ट मानचित्र (Yamuna river map) के माध्यम से विस्तार से समझेंगे।

लेख को बेहतर ढंग से समझने के लिए मेरा सुझाव है कि आप इस लेख को पढ़ते समय दिए गए यमुना नदी के मानचित्र (Yamuna river map) को भी अवश्य देखें, ताकि आपको इसकी संरचना और सहायक नदियों की स्थिति को समझने में और अधिक आसानी हो। इसी लेख में मैंने इस मैप को डाउनलोड करने के लिए डाउनलोड बटन भी लगाये है उन पर क्लिक करके आप इस मैप को डाउनलोड भी कर पायेंगे।
यमुना नदी का सामान्य परिचय
- यमुना नदी, भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणालियों में से एक ‘गंगा नदी तंत्र’ का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह गंगा की सबसे बड़ी और प्रमुख सहायक नदी है।
- इसका उद्गम उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की बंदरपुंछ श्रेणी में स्थित यमुनोत्री ग्लेशियर से होता है।
- यमुना नदी की कुल लंबाई लगभग 1376 किलोमीटर है।
- यह नदी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्यों से होकर बहती है। हालांकि यमुना नदी का जल ग्रहण क्षेत्र उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में फैला हुआ है।
- यमुना नदी प्रयागराज में गंगा नदी से मिल जाती है, और इस संगम स्थल को ‘त्रिवेणी संगम’ कहा जाता है।
- टोंस, हिंडन, चंबल, सिन्ध, बेतवा, केन यमुना की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
- यमुना नदी का धार्मिक महत्व अत्यधिक है- यह देवी यमुना के रूप में पूजनीय है, जो सूर्य देव की पुत्री और यमराज की बहन मानी जाती हैं। जहां भगवान श्री कृष्णा ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते हैं वहां यमुना इसकी जननी मानी जाती है इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में बृजवासियों की माता है अतः ब्रज में इसे ‘यमुना मैया’ कहते हैं।
- मथुरा, वृंदावन, दिल्ली और आगरा जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक नगर इसके तट पर बसे हुए हैं।
- यमुना नदी भारत की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है विशेष कर दिल्ली में इसका जलस्तर अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है।
यमुना नदी का उद्गम स्थल
यमुना नदी उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है। यह ग्लेशियर बंदरपुंछ पर्वत समूह में स्थित है जो हिमालय की पश्चिमी शाखा का हिस्सा है।
यमुना नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड के चार धामों में से एक यमुनोत्री धाम के पास स्थित है, जो एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है। यह स्थल चार धामयात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव (धाम) और धार्मिक आस्था का केंद्र माना जाता है।
यमुना नदी का उद्गम स्थल गंगा नदी के उद्गम स्थल (गंगोत्री) से भौगोलिक रूप से कुछ ही दूरी पर स्थित है, परंतु दोनों नदियों का प्रवाह मार्ग अलग-अलग है।
यमुना नदी का नक्शा (Yamuna river map pdf)

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यमुना नदी का प्रवाह मार्ग
- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलकर यमुना नदी उत्तर पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होती है, कुछ दूरी तक चलने के बाद यह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा के निकट पहुंचती है जहां इससे बंदरपुंछ पर्वत श्रेणी से ही निकलकर आने वाली टोंस नदी दाईं ओर से आकर मिलती है।
- इसके आगे यमुना नदी कुछ दूरी तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा बनाती हुई बहती है, यहीं पर इससे दाईं ओर से गिरी नदी आकर मिलती है।
- उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा बनाने के पश्चात यमुना नदी कुछ दूरी तक हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा भी निर्धारित करती है इसके बाद यह नदी हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बहती है।
- यमुना नदी मैदानी भाग में हरियाणा के यमुना सागर जिले से और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के फैजाबाद गांव के पास से प्रवेश करती है। यहीं पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर हथिनी कुंड बैराज स्थित है जो यमुना नदी के जल को नियंत्रित करने और सिंचाई के लिए विभिन्न नहरे में बांटने का कार्य करता है।
- इसके आगे यमुना नदी उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा पर बहते हुए दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश में प्रवेश करती है। यह दिल्ली शहर को दो भागों – पश्चिम दिल्ली और पूर्वी दिल्ली में विभाजित करती है, जहाँ पूर्वी दिल्ली को आम भाषा में ‘यमुना पार’ कहा जाता है।
- दिल्ली में ही राजस्थान की अरावली की पहाड़ियों से निकलकर आने वाली साहिबी नदी यमुना में दाएं और से मिलती है।
- दिल्ली से निकलने के पश्चात यमुना नदी फिर से उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा पर बहती है। गौतम बुद्ध नगर में सहारनपुर से निकलकर आने वाली हिंडन नदी बाईं ओर से यमुना में मिलती है।
- मथुरा जिले से यमुना नदी पूर्ण रूप से उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर जाती है। इसके बाद यह मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद और इटावा जिलों से होकर बहती है। आगे चलकर यह इटावा और औरैया जिलों की सीमा पर पहुंचती है, जहां चंबल नदी आकर यमुना में मिल जाती है।
- इसके कुछ ही दूरी पर इटावा जालौन और औरैया की त्रिसीमा (तीनों जिलों की सीमा) पर सिंध नदी भी यमुना नदी में मिल जाती है।
- इसके आगे यमुना नदी औरैया व जालौन जिलों की सीमा बनाती हुई बहती है। इसके पश्चात यह कानपुर देहात और जालौन, तथा आगे चलकर कानपुर नगर और हमीरपुर जिलों की सीमा रेखा बनाते हुए आगे बढ़ती है। हमीरपुर में ही बेतवा नदी आकर यमुना नदी से मिलती है।
- इसके आगे यमुना नदी फतेहपुर और बांदा जिलों की सीमा पर बहती है। बांदा में ही केन नदी यमुना नदी से आकर मिलती है। इसके पश्चात यमुना नदी फतेहपुर और चित्रकूट तथा कौशांबी और चित्रकूट की सीमा बनाते हुए प्रयागराज में प्रवेश कर जाती है।
- प्रयागराज में प्रवेश करने के बाद यमुना नदी शहर के दक्षिणी भाग में बहती हुई ‘त्रिवेणी संगम’ पर गंगा नदी से मिल जाती है। यह संगम स्थल अत्यंत पवित्र धार्मिक स्थान माना जाता है, जहाँ गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का मिलन होता है। यहीं पर कुंभ मेला और माघ मेला जैसे विश्व प्रसिद्ध धार्मिक आयोजन होते हैं।
- प्रयागराज में संगम के बाद यमुना नदी की स्वतंत्र पहचान समाप्त हो जाती है और वह गंगा नदी का हिस्सा बन जाती है। इसके आगे की जलधारा ‘गंगा’ कहलाती है, जो बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल होते हुए अंततः बांग्लादेश में प्रवेश करती है और ‘बंगाल की खाड़ी’ में गिरती है।
यमुना नदी की सहायक नदियां
यमुना नदी की कई सहायक नदियां हैं जो इसके जल प्रवाह को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इनमें से टोंस नदी हिमालय से निकलती है और यमुना की सबसे अधिक जल लाने वाली सहायक नदी है, जबकि चंबल नदी इसकी सबसे लंबी सहायक नदी है जो मध्य प्रदेश से निकलकर इटावा (उत्तर प्रदेश) में यमुना नदी से मिल जाती है। इसके अतिरिक्त हिंडन, साहिबी, उटंगन (गंभीर), सिंध, सेंगुर, बेतवा और केन भी यमुना की सहायक नदियां हैं।
Note- यमुना में सर्वाधिक जल लाने के कारण टोंस नदी को यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी माना जाता है हालांकि कई किताबों और स्रोतों में टोंस नदी को यमुना की सबसे लंबी सहायक नदी भी बता दिया जाता है जो गलत है यमुना नदी की सबसे लंबी सहायक नदी चंबल नदी है। टोंस नदी को हम यमुना नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी बोल सकते हैं क्योंकि यह सर्वाधिक जल लाती है और इसका प्रवाह बहुत तेज है परंतु यह यमुना नदी की सबसे लंबी सहायक नदी नहीं है।
आइये अब हम बारी-बारी से यमुना नदी की सहायक नदियों को देखते हैं-
टोंस नदी
- टोंस नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले मे हिमालय की बंदरपूंछ पर्वत श्रृंखला से निकलती है।
- यह यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है। इसमें यमुना से भी अधिक जल होता है और इसका प्रवाह भी काफी तेज है।
- यह कुछ दूरी तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का बॉर्डर भी बनती है।
- टोंस नदी उत्तराखंड के देहरादून जिले के कालसी नामक स्थान के पास उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बॉर्डर पर यमुना नदी से मिल जाती है।
- पब्बर, रुपिन और सुपिन नदियां टोंस की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
गिरि नदी
- गिरि नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में जुब्बल तहसील में हिमालय की कोटखाई पहाड़ियों में स्थित गिरि गंगा मंदिर के समीप से होता है।
- गिरि नदी को गिरिगंगा के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर दाईं ओर से यमुना में मिल जाती है।
हिंडन नदी
- हिंडन नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में कालूवाल खोल नामक शिवालिक की पहाड़ियों से होता है।
- यह नदी सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतम बुध नगर जिलों से बहते हुए ग्रेटर नोएडा के पास यमुना नदी से मिल जाती है।
- यह यमुना की बाईं ओर से मिलने वाली एक प्रमुख सहायक नदी है। यह एक बरसाती नदी है।
- हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता) का सबसे पूर्वी स्थल आलमगीरपुर हिंडन नदी के किनारे गाजियाबाद जिले में स्थित है।
साहिबी नदी
- साहिबी नदी जिसे कुछ स्थानों पर साबी नदी भी कहा जाता है, एक बरसाती नदी है जो राजस्थान की अरावली की पहाड़ियों से निकलती है।
- यह नदी राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में प्रवाहित होते हुए दिल्ली में ही यमुना मे दाएं और से मिल जाती है।
- साहिबी नदी को अब दिल्ली में नजफगढ़ नाला के नाम से जाना जाता है। इसमें दिल्ली के सभी बड़े नालों का पानी गिरता है।
- कभी यह नदी पूरे इलाके का बारिश का पानी एकत्रित कर नजफगढ़ झील के रास्ते यमुना नदी तक पहुंचती थी अब यह झीललगभग विलुप्त हो चुकी है और नदी एक नाले के रूप में तब्दील हो चुकी है।
गंभीर (उटंगन) नदी
- गंभीर नदी जिसे उटंगन नदी के नाम से भी जाना जाता है, भारत की एक मौसमी नदी है तथा यमुना की एक सहायक नदी है।
- गंभीर नदी राजस्थान राज्य में उत्पन्न होती है और उत्तर प्रदेश राज्य में जलालपुर (आगरा जिला) के पास यमुना से मिल जाती है।
चंबल नदी
- चंबल नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के मऊ गांव के समीप स्थित विंध्य पर्वत श्रृंखला की जानापाव पहाड़ी से होता है। उद्गम के पश्चात यह नदी उत्तर-पूर्व दिशा में बहते हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरती है और इटावा जिले में इटावा और औरैया की सीमा पर यमुना नदी से मिल जाती है।
- चंबल नदी की कुल लंबाई 1024 किलोमीटर है। यह यमुना की सबसे लंबी सहायक नदी है।
- चंबल एक अध्यारोपित नदी है जो भारत में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन करने के लिए जानी जाती है। यह उत्खादभूमि भूमि का निर्माण करती है जिसे बीहड़ (Bad land topography) कहा जाता है।
- चंबल नदी पर चार प्रमुख बांध बनाए गए हैं जिनका क्रम दक्षिण से उत्तर की ओर गांधी सागर बांध, राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज है।
- चंबल नदी पर राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण स्थित है जो राजस्थान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में फैला हुआ है।
- क्षिप्रा, काली सिंध, पार्वती, बनास और कुनो आदि नदियां चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
- चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं-
सिंध नदी
- सिंधु नदी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बहने वाली यमुना नदी की दाई ओर की एक सहायक नदी है।
- सिंध नदी का उद्गम मालवा पठार में मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की सिरोंज तहसील से होता है और यह उत्तर दिशा में बहते हुए जालौन से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है तथा इटावा और जालौन की सीमा पर यमुना नदी से मिल जाती है।
- सिंध नदी की प्रमुख सहायक नदियां माहौर, पाहुज, कुंवारी आदि हैं।
बेतवा नदी
- बेतवा नदी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बहने वाली यमुना की दाएं ओर की एक प्रमुख सहायक नदी है।
- इसका उद्गम विंध्य पर्वत श्रेणी में मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुमरा गांव से होता है। उद्गम के पश्चात यह नदी उत्तर पूर्व दिशा में बैठे हुए उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना से मिल जाती है।
- हमीरपुर शहर बेतवा और यमुना नदियों के बीच में स्थित है।
- बेतवा नदी का प्राचीन नाम वेत्रवती था। यह बुंदेलखंड पठार की सबसे लंबी नदी है।
- बेतवा नदी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की कुछ दूरी तक सीमा भी निर्धारित करती है।
- बेतवा नदी पर ही मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर राजघाट बंध तथा माताटीला बांध और झांसी में परीक्षा बांध स्थित है।
केन नदी
- केन नदी मध्य प्रदेश के कटनी जिले के पास स्थित कैमूर पहाड़ियों से निकलती है। इस नदी को कर्णावती नाम से भी जाना जाता है।
- यह नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में बहते हुए बुंदेलखंड क्षेत्र से होकर गुजरती है। अपनी यात्रा के दौरान यह नदी उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में प्रवेश करती है और भोजहा नामक स्थान के पास यमुना में समाहित हो जाती है।
- केन नदी पर केन बेतवा लिंक परियोजना प्रस्तावित है जो भारत की प्रमुख नदी जोड़ो परियोजनाओं में से एक है।