भारत में लोकसभा सीटों की संख्या (लोकसभा सदस्य संख्या राज्यवार लिस्ट)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81 के अनुसार भारत में लोकसभा सीटों की संख्या अधिकतम 550 हो सकती हैं। लेकिन वर्तमान में भारत में लोकसभा सीटों की संख्या 543 है। लोकसभा में अधिकतम सीटों का आंकड़ा 104 वे संविधान संशोधन अधिनियम 2019 से पहले 552 था। इस संशोधन के द्वारा लोकसभा में आंग्ल भारतीयों के लिए आरक्षण को रद्द कर दिया गया जिससे लोकसभा में दो आंग्ल भारतीयों का मनोनयन समाप्त हो गया। आगे इस पोस्ट के माध्यम से हम भारत में लोकसभा सदस्य संख्या, लोकसभा में आंग्ल भारतीयों का मनोनयन और 104 वां संविधान संशोधन, लोकसभा में sc/st आरक्षण, राज्यों में लोकसभा सीटों का आवंटन और परिसीमन को विस्तार से समझेंगे। भारत में लोकसभा सीटों की संख्या

भारत में लोकसभा सीटों की संख्या से संबंधित संबैधानिक प्रावधान-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81 में लोकसभा के गठन से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। 
  • अनुच्छेद 81 के अनुसार लोकसभा में अधिकतम 550 सदस्य हो सकते हैं।
  • अनुच्छेद 81 में उल्लेखित है कि लोकसभा मैं अधिकतम 530 सदस्य राज्यों से निर्वाचित होंगे तथा अधिकतम 20 सदस्य संघ शासित प्रदेशों से निर्वाचित होंगे।
  • हालांकि वर्तमान में लोकसभा सदस्य संख्या 543 हैं, जिनमें से 524 सदस्य राज्यों से निर्वाचित होते हैं और 19 सदस्य संघ शासित प्रदेशों से निर्वाचित होते हैं। वर्तमान में सभी लोकसभा सदस्य निर्वाचित होते हैं।

Note- 104 संविधान संशोधन अधिनियम 2019 से पहले लोकसभा में अधिकतम सीटों की संख्या 552 थी क्योंकि राष्ट्रपति द्वारा दो आंग्ल भारतीयों का मनोनयन लोकसभा में किया जाता था। 

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लोकसभा में आंग्ल भारतीयों का मनोनयन और 104 वां संविधान संशोधन-

  • जब 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ तो उसमें लोकसभा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा आंग्ल भारतीयों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की बात करता है तथा अनुच्छेद 331 लोकसभा में आंग्ल भारतीयों के लिए आरक्षण की बात करता है।

Note- अनुच्छेद 332 राज्यों की विधानसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की बात करता है तथा अनुच्छेद 333 राज्य विधानसभा में आंग्ल भारतीयों के मनोनयन की बात करता है।

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 331 में उल्लेखित है कि यदि राष्ट्रपति की राय में लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो वह उस समुदाय के अधिकतम दो प्रतिनिधियों को लोकसभा में मनोनीत कर सकते हैं। 
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 334 में यह प्रावधान किया गया है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और आंग्ल भारतीयों को लोकसभा / राज्य विधानसभाओं में मिलने वाला आरक्षण कितने समय तक रहेगा। 1950 में यह 10 साल के लिए था। जैसे ही यह 10 साल की अवधि समाप्त होने को आई तो संसद द्वारा संविधान में संशोधन कर इसे फिर से 10 साल के लिए बढ़ा दिया गया। इसी तरह सभी सरकारें 10-10 साल इस आरक्षण को आगे बढ़ाती रही।
  • 25 जनवरी 2020 को जब फिर ये आरक्षण समाप्त होने का समय आया तो तो सांसद ने फिर से 104 वां संविधान संशोधन अधिनियम 2019 पारित किया लेकिन इस बार लोकसभा / राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को तो 10 साल के लिए आगे बढ़ाया परंतु आंग्ल भारतीयों के आरक्षण को आगे नहीं बढ़ाया।
  • यानी कि संसद ने 104 में संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा लोकसभा तथा राज्य विधानसभा में आंग्ल भारतीयों के आरक्षण को रद्द कर दिया। जिससे लोकसभा में दो आंग्ल भारतीयों का मनोनयन भी समाप्त हो गया।

राज्यों में लोकसभा सीटों का आवंटन-

भारत में राज्यों के मध्य लोकसभा सीटों की संख्या का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर किया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81(2) में लोकसभा सीटों के आवंटन से संबंधित दो प्रावधान किए गए हैं ।

पहला प्रावधान- राज्यों के मध्य लोकसभा सीटों का आवंटन इस प्रकार किया जाए कि प्रत्येक राज्य में जनसंख्या और लोकसभा सीटों का अनुपात सामान रहे।

इसका अर्थ यह है कि देश के प्रत्येक नागरिक को लोकसभा में बराबर प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। यदि एक राज्य की जनसंख्या 2 करोड़ है और उनके पास 10 लोकसभा सीटें हैं तो जिस राज्य की जनसंख्या 4 करोड़ है उसे लोकसभा की 20 सीटें मिलनी चाहिए।

Note- इस प्रावधान में समस्या यह है कि जिन राज्यों या संघ राज्य क्षेत्र की जनसंख्या बहुत कम है उनका प्रतिनिधित्व इतना काम हो सकता है कि उन्हें लोकसभा में एक भी सीट प्राप्त न हो। इसलिए 31 वे संविधान संशोधन अधिनियम 1973 के माध्यम से अनुच्छेद 81 (2) में एक परंतुक जोड़कर यह व्यवस्था कर दी गई की जनसंख्या के अनुपात में बराबरी रखने का यह नियम उन राज्यों या संघ राज्यक्षेत्र पर लागू नहीं होगा जिनकी जनसंख्या 60 लाख से कम है। ऐसे राज्यों/ संघ राज्यक्षेत्र को एक लोकसभा सीट दे दी जाएगी। 

दूसरा प्रावधान- प्रत्येक राज्य के भीतर प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों (लोकसभा क्षेत्रों) को इस तरीके से विभाजित किया जाए कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या और उसको आवंटित सीटों की संख्या से अनुपात पूरे राज्य में यथा संभव एक जैसा हो। इसका व्यावहारिक अर्थ सिर्फ इतना है कि सभी निर्वाचन क्षेत्रों की जनसंख्या समान होनी चाहिए। 

चूंकि जनसंख्या परिवर्तनशील होती है और समय के साथ बदलती रहती है फिर अनुच्छेद 81(2) में दिए यह दोनों प्रावधान कैसे लागू रह पाएंगे। इसलिए हमारे संविधान में परिसीमन (Delimitation) की व्यवस्था की गई है। 

परिसीमन (Delimitation)-

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में यह उल्लेखित है कि प्रत्येक जनगणना के बाद लोकसभा के स्थानो का आवंटन तथा निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण किया जाएगा।

       अर्थात जिस राज्य की जनसंख्या जनगणना में घटी हुई मिलेगी तो उसकी सीटों को घटा दिया जाएगा और जिस राज्य की जनसंख्या बड़ी हुई मिलेगी उसकी सीटों को बढ़ा दिया जाएगा। 

परिसीमन के संबंध में विधि बनाने का अधिकार संसद के पास है संसद इसके लिए परिसीमन आयोग का गठन करती है।

1971 की जनगणना तक परिसीमन आयोग जनगणना के अनुसार लोकसभा स्थानों तथा निर्वाचन क्षेत्र का सीमांकन करते रहे किंतु उसके बाद एक समस्या सामने आयी। भारत सरकार 1952 से ही जनसंख्या नियंत्रण के लिए गंभीर प्रयास कर रही थी किंतु इसके जितने बेहतर परिणाम दक्षिण भारतीय राज्यों में आए थे उतने उत्तरी राज्यों में नहीं। यदि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन होता रहता तो लोकसभा में स्वाभाविक तौर पर उत्तर भारतीय राज्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ जाता, जिससे दक्षिण भारतीय राज्य नुकसान में रहते। इससे जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम भी असफल हो सकते थे। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81 और 82 में संशोधन किए गए हैं।

आगे की कहानी को समझने से पहले हम परिसीमन को फिर से नए तरीके से देखते हैं- 

परिसीमन के दो अर्थ होते हैं-

(क) राज्यों के मध्य स्थानो/ सीटों का आवंटन

(ख) राज्यों में निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण

(क) राज्यों के मध्य स्थानो/ सीटों का आवंटन

इसके अंतर्गत किसी राज्य में लोकसभा सीटों की संख्या कितनी होगी कितनी सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होगी तथा कौन सी सीट अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होगी इन सब का निर्धारण किया जाता है।

Note- 84 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा 1971 की जनगणना को आधार मानकर इस परिसीमन को 2026 तक फ्रीज कर दिया गया है। यानी 2026 तक वर्तमान परिसीमन की व्यवस्था लागू होगी अर्थात राज्यों में 2026 तक लोकसभा सीटों की संख्या नहीं परिवर्तित होगी।

(ख) राज्यों में निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण

इसके अंतर्गत किसी लोकसभा का निर्वाचन क्षेत्र क्या होगा किस क्षेत्र के वोटर किस लोकसभा सीट के लिए वोट करेंगे इसका निर्धारण किया जाता है। यानी इसके अंतर्गत किसी लोकसभा की सीमाओं को बदला जा सकता है।

Note- 87 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2003 के द्वारा 2001 की जनगणना को आधार मानकर इस परिसीमन (निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण) को 2026 तक फ्रीज कर दिया गया है।

भारत में लोकसभा सीटों की संख्या की राज्यवार लिस्ट-

  • भारत में सबसे ज्यादा लोकसभा सदस्य संख्या उत्तर प्रदेश राज्य की है उत्तर प्रदेश राज्य के पास 80 लोकसभा सीटें हैं। 
  • लोकसभा सदस्य संख्या के मामले में महाराष्ट्र का दूसरा स्थान है महाराष्ट्र के पास 48 लोकसभा सीटें हैं।
  • तीसरे स्थान पर लोकसभा सदस्य संख्या पश्चिम बंगाल राज्य की है। पश्चिम बंगाल राज्य के पास 42 लोकसभा सीटें हैं।
  • वर्तमान में लोकसभा में आरक्षित सीटों की संख्या 131 है। जिसमें से 84 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए और 47 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है।
  • उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 17 लोकसभा सीटें अनुसूचित जाति (sc) के लिए आरक्षित है।
  • मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 6 लोकसभा सीटें अनुसूचित जनजाति (st) के लिए आरक्षित है ।
  • उत्तर प्रदेश में 17 लोकसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं लेकिन एक भी सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित नहीं है।
  • क्षेत्रफल के अनुसार चार सबसे बड़े लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र (1) लद्दाख (2) बाड़मेर (3) कच्छ (4)अरुणाचल पूर्व

भारतीय राज्यों में लोकसभा सीटों की संख्या

भारत के राज्यों में लोकसभा सीटों की संख्या की लिस्ट-

राज्य / संघ राज्य क्षेत्रलोकसभा सीटों की संख्या
उत्तर प्रदेश80
महाराष्ट्र48
पश्चिम बंगाल42
बिहार40
तमिलनाडु39
मध्य प्रदेश29
कर्नाटक28
गुजरात26
राजस्थान25
आंध्र प्रदेश25
उड़ीसा21
केरल20
तेलंगाना17
झारखंड14
असम14
पंजाब13
छत्तीसगढ़11
हरियाणा10
दिल्ली (UT)7
जम्मू कश्मीर5
उत्तराखंड5
हिमाचल प्रदेश4
अरुणाचल प्रदेश2
गोवा2
मणिपुर2
त्रिपुरा2
दादर नागर हवेली और दमन दीव (UT)2
मेघालय2
नागालैंड1
सिक्किम1
मिजोरम1
अंडमान निकोबार (UT)1
चंडीगढ़1
लद्दाख1
पुडुचेरी (UT)1
लक्षद्वीप (UT)1
भारत के राज्यों में लोकसभा सीटों की संख्या की लिस्ट

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